________________ श्रीपाल चरित्र. // 49 // हे नाथ! इस कुंकण देशमें बसाहुवा प्रतिष्ठान नगरमें वसुपाल राजा राज्य करता है, उनने हमें में प्रस्ताव | यह आदेश किया है कि समुद्रके किनारे अपरिवर्तित छायावाले चंपक वृक्षके नीचे जो पुरुष हो / el तीसरा. | उसे अश्व-रत्नपर चड़ाकर पिछली पहरमें विनयपूर्वक यहांपर ले आना, इस स्थितिमें हमने | | आपहीको देखे हैं; अतः कृपाकर चलिये गा, तब कुमार घोड़ेपर सवार होकर नगरके समीप पहुँचे, | वसुपालने सन्मुख आकर समहोत्सव नगर-प्रवेश कराया और सिंहासन पर स्थापित कर विनय | पूर्वक प्रार्थना करने लगा-अहो महानुभाव ! मैने किसी निमित्तियेको एक वख्त पूछा था कि IS मेरी पुत्री मदनमंजरीका वर कौन होगा? तब उसने कहा-वैशाख सुदी दसमीके पिछले पहरमें है दरियेके किनारे चंपक वृक्षके नीचे जो ठहरा हो वही उसका पतिराज होगा, वह दसमीका शुभ है। दिन आजही है, उसका कथन मिला और आपका शुभागमन हुवा, अतः मेरी कन्याके साथ | विवाह करो! श्रीपाल कुमारने इस नम्र विज्ञप्तिको सहर्ष स्वीकारी, तुरन्त ही राजाने सर्व सा. || मग्री तैयार कर मोटे आडम्बरसे विवाह कर दिया, करमोचन समय बहुतसा माल अस्बाव दिया KARNAGARIKA A // 49 // AC.GunratnasuriM.S. . Jun Gun Aaradhal