________________ 54: | डोरीसे बंधाई और उस पर बैठ कर कौतुक देखने लगा, एक वख्त रात्रीमें धवल बैठा हुवा | | कुमारको कहता है-अहो श्रीपाल कुंवर! आजतो सागरमें ऐसा कौतुक दिखाई देता है कि || पहिले मैंने कभी नहीं देखा, यह सुनकर कुमार पूर्वकृत अशुभ कर्मके संयोगसे अहो कहां है ? जबाब मिला यहां आओं! श्रीपालजी ऊपर पहुँचे कि तुरन्त धवल जहाजमें आ गया, सूचना पाते ही धवलके उस दुष्ट मित्रने कसाईकी तरह उस मंचीकाकी डोर काट डालो कि उसी | वख्त कुमार समुद्रमें गिरपड़े; गिरते 2 नवपदका ध्यान किया, उसके प्रभावसे पड़तेही एक मगरमच्छके पीठपर सवार हो गये, नवपदके प्रभावसे तथा जल-तारणी औषधी के बदौलत कुंकण देशके तटपर जा पहुँचे. ___तब श्रीपाल कुमार मगर मच्छके पीठसे उतर कर पृथ्वीपर आये और वहांपर चंपक वृक्षके ||5| नीचे शान्तिसे सोगये, जागते ही क्या देखत हैं कि चारों ओर सुभट लोग खड़े हैं, उनने कहा 58 hill Ac Gunratnasuri M.S. Jun Gun Aaradha