SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 96
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ pornwww.. ... . तृतीय प्रस्ताव / 76 आप अपने घरमें शान्ति-पाठ करने लगा। साथही शस्त्र तथा जिरह बखतरोंसे सजे हुए वीरों और हाथी-घोड़ोंको घरके चारों तरफ़ रखवालीके लिये तैनात कर गृह-रक्षाका भी प्रबन्ध कर डाला / तदनन्तर वह घरके मन्दिर में बैठकर धर्म-ध्यान करने लगा। इसी तरह करते हुए पन्द्रहवाँ दिन आ पहुँचा। उस दिन एकाएक राजाके अन्तःपुरसे यह आवाज़ आयी,-" हे लोगो! दौड़ो, दौड़ो, यह देखो मन्त्रीका पुत्र सुबुद्धि राजकुमारीका वेणीदण्ड काटकर भागा जा रहा है।" यह बात सुन, राजाने एक बारगी क्रोधमें आकर विचार किया,- 'मैंने उस दुष्ट मन्त्री-पुत्रका इतना आदर किया और उसने मेरे साथ ऐसी बेजा हरकत की?" ऐसा विचार मनमें आतेही राजाने सारी सभाके सामनेही कोतवालको आज्ञा दी, कि मन्त्री-पुत्रके इस अपराधके दण्ड-स्वरूप तुम अभी मन्त्रीको सपरिवार मृत्युके घाट उतार दो / उसके किसी नौकरको भी जीता न छोड़ना; क्योंकि उसके पुत्रने बहुत बड़ा अपराध कर डाला है। यह कह राजाने मन्त्रीके घर पर सेना भेजवायी। उस समय मन्त्रीके सैनिकोंने इनकी राह रोकी। यह सब समाचार ध्यानमें मग्न होकर बैठे हुए मन्त्रीको आपसे आप मालुम हो गया और उसने तत्काल बाहर आकर अपने आदमियोंको लड़नेसे मना करते हुए, राजाके सैनिकोंसे कहा, "हे वीरो! तुमलोग एक बार मुझे राजाके पास ले चलो। उन लोगोंने ऐसाही किया। मन्त्रीको देख राजाका क्रोध कम हो गया / तब मन्त्रीने राजाके सामने जा, प्रणाम कर विनयपूर्वक कहा, "हे महाराज! मैंने जो सन्दूक आपके यहाँ रखवा दिया था, उसके भीतरकी चीज़ निकलवाइये। इसके बाद आपकी जैसी ईच्छा हो, वैसा करें।" यह सुन. राजाने कहा, क्या इतना बड़ा अपराध करके तुम मुझे धन देकर सन्तुष्ट करना चाहते हो?” मन्त्रीने कहा,- "महाराज ! मेरे प्राण तो आपके अधीनही हैं , पहले एकबार उस सन्दूकको तो खोलकर देखिये।" उसके ऐसा आग्रह करने पर राजाने वह सन्दूक मँगवाकर उसके सब ताले तुड़वा P.P. Ac. Gunratnasuri M.S. Jun Gun Aaradhak Trust
SR No.036489
Book TitleShantinath Charitra Hindi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBhavchandrasuri
PublisherKashinath Jain
Publication Year1924
Total Pages445
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size355 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy