________________ / द्वितीय प्रस्ताव। . अवज्ञाके साथ हँसता रहा। वह पूजा पर बैठाही रहा और धनदने खङ्गका ऐसा वार किया, कि वह यमराजके घर जा पहुँचा। इसके बाद उसी शुभ समयमें उसकी लायी हुई सामग्रियोंका उपयोग करते हुए धनदने उस तिलकसुन्दरी नामक बालिकासे विवाह कर लिया। उसके साथ रहकर भोग-विलास करता हुआ, वह कुछ दिनों तक घहीं रहा। ....... ... ... ... .. . ... ... . इसके बाद वह स्त्री, रत्न,सुवर्ण तथा उत्तमोत्तम वस्त्र इत्यादि अच्छे, ... अच्छे पदार्थों को साथ लिये हुए उसी कुएं में आ पहुँचा / इसके बाद पीछे लौटकर उसने और भी अपनी पसन्दकी चीजें ले ली और भक्तिपूर्वक आकर चक्रेश्वरी देवीको प्रणाम कर उस कुएको मेखला पर आपहुँचा। इतनेमें उस द्वीपके पास एक जहाज़ आया। उस जहाजके आदमी उसी कुएं से जल.लेने आये / उन्होंने कुएं में रस्सी डाली। धनदने उस रस्सीको पकड़कर कहा,-"भाइयो ! मैं कुएं में गिर पड़ा हूँ, कराकर मुझे बाहर खींच लो।" यह सुनकर उन आदमियोंने यह बात अपने स्वामी देवदत्त नामक सार्थवाहसे कही। वह भी कौतूहलके मारे वहीं आ पहुंचा। इसके बाद उसने उस रस्सीमें एक छोटीसी खटोली बांधकर लटकायी। उसी पर चढ़कर धनद कुएँ से बाहर निकला। उसका वह . सुन्दर रूप और उत्तम वस्त्राभूषण देख, विस्मित होकर सार्थवाहने पूछा, -- "भद्र! तुम कौन हो ? कहाँसे आये हो ? और इस कुएँ में कैसे गिर पड़े, इसका हाल बताओ।" धनंदने कहा, "हे सार्थवाह ! मेरी स्त्री भी इसी कुएँ में गिर पड़ी है, उसे भी बाहर निकालना चाहिये। साथ ही मेरे रत्नालङ्कार आदि भी इसी कुएँ में पड़े हुए हैं। पहले इन सबको बाहर निकलवाइये, पीछे मैं अपना सारा हाल आपसे कहूँगा। ...... .. यहसन उस सार्थपतिने कहा,- "हे भद्र ! तुम खुशीसे अपनी स्त्री और समस्त वस्तुओंको बाहर निकाल लो।" धनदने ऐसाही किया। तिलकसुन्दरीको देख, सार्थवाह हका-बका सा हो गया। इसके बाद सार्थवाहने जब धनदसे उसकी रामकहानी पूछा, तब उसने कहा है P.P. Ac. Gunratnasuri M.S. Jun Gun Aaradhak Trust