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________________ . द्वितीय प्रस्ताव / धारी शिकारी जल पीनेके लिये आये हुए जानवरोंका शिकार करने. की इच्छासे वहाँ आ पहुंचा। उसी समय सेठके बेटेने नींदमें ही पड़े-पड़े एकबार करवट बदली, जिससे सूखे पत्ते खड़खड़ा उठे। वह शब्द सुन, शिकारीने विचार किया,मालूम होता है, कोई जंगली जानवर जा रहा है।" ऐसा विचार कर उसने उसी शब्दकी सीधपर बाण छोड़ दिया। वह बाण उस सोये हुए सेठके पुत्रके पैरमें आ लगा। निशाना ठीक बैठा, वह जानकर वह शिकारी उसे देखनेके लिये उसके पास आया। इतनेमें बाणकी चोट खाये हुए धनदने तकलीफके मारे उक्त गाथाका उच्चारण किया / यह सुनकर उस शिकारीने सोचा,-"आह ! यह तो मालूम होता है, कि मैंने विना समझ बूझे किसी थके-मांदे सोये हुए मुसाफिरको ही मार डाला।" इस तरहकी बात मनमें आते ही उसने उसके पास आकर पूछा, –“हे भाई ! मैंने अनजानतेमें तुम्हें,बाणसे विद्ध कर डाला है। कहो तो तुम्हें कहाँ चोट आयी ? ऐसा कहकर उसने उसके पैरमेंसे बाण खींचकर निकाल लिया और उसके ज़रूमपर मरहमपट्टी करने लगा। सेठके बेटेने उसे मरहमपट्टी करनेसे रोकते हुए कहा, "भाई ! तुम अपने घर चले जाओ।" इस प्रकार सेठके पुत्रसे आज्ञा पाकर वह शिकारी अपने घर चला गया। इधर सेठके बेटेके पैरसे खून जारी हो गया। बहुतेरा खून निकलनेके कारण वह प्रात:काल होते-होते बेहोश हो गया। इसी समय एक भारण्ड पक्षी वहाँ आया और उसे मरा हुआ समझकर उठाये हुए समुद्रके बीचोबीच एक छीपमें ले आया। उसने ज्योंही उसे खानेका विचार किया, त्योंही उसमें जीवनका कुछ चिह्न देख उसे वहीं छोड़कर उड़ गया। इसके बाद उस द्वीप की ठंढी-ठंढी हवाके लगनेसे धनदको चेतना :हो आयी। वह खड़ा होकर चारों ओर देखने लगा। देखते-देखते उसे .एक निर्जन वन दिखलाई दिया। उसने मनमें विचार किया,- "मेरा नगर यहाँसे कितनी दूर है ? यह भयंकर वनही किस स्थान पर है ? अथवा P.P. Ac. Gunratnasuri M.S. Jun Gun Aaradhak Trust
SR No.036489
Book TitleShantinath Charitra Hindi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBhavchandrasuri
PublisherKashinath Jain
Publication Year1924
Total Pages445
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size355 MB
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