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________________ ऐसेही विरले सजनोंमें कलकत्तेके सुप्रसिद्ध, व्यापारी ओसवालकुल-भूषण श्रीमान् बाबू भैंरोंदानजी कोठारी भी हैं। यद्यपि आप बीकानेरके रहने वाले हैं, तथापि-आपका जन्म संवत् 1938 वैशाख कृष्णा 2 शनिवार को गुजरातके समीप दाहोद नामक स्थानमें हुआ था। आपके पिता वहीं पर कपड़े आदिका कार-बार करते थे, उनका शुभ नाम श्रीमान् रावतमलजी था। आपकी अवस्था जिस समय केवल छ वर्षकी थी, उसी समय आपकी माताजीका परलोकवास हो गया था। इसलिये आपके पालनपोषणका सारा भार आपके पिताश्री पर ही आ पड़ा। आपके एक सुशीला बहिन भी हैं, जिनका शुभ नाम जुहार कुँवर है। दाहोदमें ही आपकी शिक्षा हुई। उसके बाद आप व्यापारकी ओर झुके। संवत 1955 की सालमें आप कलकत्ता पधारे। यहाँपर __ आपने पहले-पहल 10 रूपये की नौकरी पर काम करना आरंभ किया। इसके बाद आपने विलायती कपड़ेका व्यापार करना शुरू किया ; पर इस काममें आप पूरी तरह सफल न हुए। फिर इसके बाद आपने सन् 1964 की सालसे स्वदेशी कपड़ेकी दलालीका काम करना आरंभ किया। इस कार्य में आपने उत्तरोत्तर उन्नति की और एक बड़े नामी-गरामी व्यापारीमें आपकी गणना हो गई। .. इस बीचमें संवत् 1656 के वर्ष में आपका शुभ विवाह हुआ __ आपकी धर्मपत्नी बड़ीही सुशीला, सुशिक्षिता, धर्मपरायणा, पतिव्रता और शान्तस्वभावा हैं। धार्मिक शिक्षाका ज्ञान भी यथेष्ट प्राप्त किया है और अपना प्रायः अधिक समय ज्ञान-ध्यान एवं धार्मिक क्रियामें ही व्यतीत करती हैं। उनके धर्म-कार्यमें आप सदैव साथ दिया करते हैं। अभी कुछ वर्षोंके पहलेकी बात है, आपकी धर्मपत्नीने नवपद ओलीका बड़ा तप किया था। उसकी समाप्तीके उपलक्षमें आपने एक बड़ा भारी उद्यापन ( उजमणा) किया, जिसमें अतुल धन-व्यय कर आप अपूर्व पुण्यके भागी बने। P.PAAC. Ganratnasuri M.S. Jun Gun.Aaradhak Trust
SR No.036489
Book TitleShantinath Charitra Hindi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBhavchandrasuri
PublisherKashinath Jain
Publication Year1924
Total Pages445
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size355 MB
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