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________________ श्रीशान्तिनाथ चरित्र। पर बैठकर उन्होंने क्रमसे अपने स्वामका सारा हाल राजाको कह सुनाया। यह सुन, हर्षसे खिलकर विश्वसेन राजाने उनसे कहा,"प्यारी! तुमने यह बड़े ही अच्छे स्वप्न देखे। इनके प्रभावसे - तुम्हें सब अच्छे लक्षणोंसे युक्त और अंग-अंगसे सुडौल एक पुत्र उत्पन्न होगा।" यह सुन, रानीको बड़ा आनन्द हुआ और कहीं दूसरा कोई अशुभ स्वप्न न दीख पड़े, इसलिये जागती हुई देव, गुरु और धर्म-सम्बन्धी विचारों में ही उन्होंने बाक़ी रात बिता दी। - इसके बाद प्रातःकाल राजाने अपने सेवकोंको भेजकर अष्टाङ्ग. ज्योतिषमें प्रवीण और स्वप्न के फल जाननेवाले ब्राह्मणोंको बुलवाया। - राजपुरुषोंके बुलाये हुए ब्राह्मण माङ्गलिक उपचार कर, राजसभामें आ, क्रमशः रखे हुए भद्रासनों पर बैठ रहे। उस समय राजाने उनकी पुष्पादिसे पूजा कर, उनसे रानीके स्वप्नका सारा हाल सुनाकर उसका फल पूछा। इसके उत्तरमें उन्होंने कहा, "हे राजन् ! हमारे शास्त्रमें 42 साधारण और 30 महास्वप्नोंका वर्णन है। सब मिलाकर 72 स्वप्न होते हैं। इन 30 महास्वप्नोंमेंसे आपके कहे अनुसार 14 महास्वप्न अचिरा देवीने देखे हैं। अरिहन्तों और चक्रव. र्तियोंकीमाता ही ये 14 स्वप्न देखती हैं। वासुदेवकी माता सात, बलदेव की माता चार, प्रतिवासुदेवकी माता . तीन. और माण्डलिक राजाकी माता एकही महास्वप्न देखती हैं। अचिरादेवीने तो चौदह महास्वप्न देखे हैं। इसलिये आपके पुत्र भरत.क्षेत्रके छहों खण्डोंके राजा होंगे, अथवा तीनों लोकोंके द्वारा वन्दना करने योग्य जिनेश्वर होंगे।" यह सुन रानी सहित राजाको बड़ा आनन्द हुआ। इसके बाद राजाने उन स्वप्न-विचारकोंको पुष्प, फल, धम, धान्य और . घनादिसे सम्मानित कर, विदा कर दिया। .. - इसके बाद रानी बड़े यत्नसे गर्भका पालन करने लगीं। . गर्भकी रक्षाके लिये उन्होंने अति स्निग्ध, अति मधुर, अति क्षार,. अति P.P. Ac. Gunratnasuri M.S. Jun Gun Aaradhak Trust
SR No.036489
Book TitleShantinath Charitra Hindi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBhavchandrasuri
PublisherKashinath Jain
Publication Year1924
Total Pages445
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size355 MB
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