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________________ aaranamannaahaan चतुर्थ प्रस्ताव। .. चिन्तातुर मनुष्योंको नींद कहाँसे आ सकती है ? मैं विचारमें मग्न हो रहा था / " राजाने कहा,-"अबके तुम किस विचारमें थे ?" उसने कहा,: "हे स्वामी ! मैं यही सोच रहा था, कि राजाके कितने बाप हैं ? राजा ने कहा“अरे ! तू क्या बकता है ?" उसने कहा, "राजन् ! मैं सच कहता हूँ, आपके पाँच पिता हैं।" यह सुन, क्रोध और आश्चर्यके साथ राजाने कहा,--"रे बकवादी ! बोल, मेरे पांचों बाप कौन-कौन हैं.?" उसने कहा-.--"एक तो राजा, दूसरा कुबेर,तीसरा धोबी, चोथा बीछू, पाँचों चाण्डाल / ये ही पांचों आपके पिता हैं / " यह सुन राजाने पूछा,"अच्छा, रोहक ! तू यह बता, कि यह बात तुझे कैसे मालूम हुई, कि मेरे पाँच पिता हैं ?" उसने कहा,-"आपके गुणोंसे ही जाना / " राजा ने पूछा, मेरे किन-किन गुणों से तुझे मालूम हुआ, उसने कहा"महाराज ! आप नीतिके साथ राज्यका पालन कर रहे हैं, इससे सो मालूम होता है, कि आप राजाके पुत्र हैं। जिस पर आप प्रसन्न होते हैं, उसे बहुतसा धन दे डालते हैं। इसलिये मालूम होता है, कि आपके पिता कुबेर हैं। आप जिस पर नाराज़ होते हैं, उसका सर्व- . स्व छीन लेते हैं; इसलिये तो मालूम होता है, कि आपके पिता धोंषी रहे होंगे / आपने जब मुझे काँटेसे गोदा, तब मैंने सोचा, कि आपके पिता बिच्छू हों तो आश्चर्य नहीं और आप अत्यन्त कोप करते हैं, . . इसलिये आपके पिताका चाण्डाल होना भी सम्भव है।" यह सुन, राजाने इस बातका निश्चय करनेके लिये अपनी मातासे पूछा, तब उन्होंने कहा,-" हे पुत्र ! ऋतु-स्नान करने के बाद मैंने एक समय धोबी, चाण्डाल और बिच्छू देखा था।" यह सुन, रोहककी बात सच समझ कर राजाने आश्चर्यान्वित हो, उसकी बुद्धिकी बड़ी प्रशंसा की और उसे बड़े आदरफे साथ अपने पाँच सौ मन्त्रियोंमें मुख्य बना लिया। इसके बाद उसकी बुद्धिके प्रभाव से बड़े-बड़े बलवान् राजा भी अरि केसरी राजा के वशमें हो गये। रोहक कथा समाप्त। . . . . . P.P.AC.Gunratnasuri M.S. Jun Gun Aaradhak Trust
SR No.036489
Book TitleShantinath Charitra Hindi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBhavchandrasuri
PublisherKashinath Jain
Publication Year1924
Total Pages445
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size355 MB
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