________________ 162 श्रीशान्तिनाथ चरित्र। नींदसे जगकर रोहकने भटपट जवाब दिया,-"महाराज ! मैं जगा है, पर ज़रा एक बातके विचारमें पड़गया हूँ।" राजाने पूछा,-"तुम किस विचारमें पड़े हुए थे ?" उसने कहा,-"बकरियोंकी लेंडीको इस तरह / गोल-गोल कौन बनाता है ? राजाने पूछा,--"तुम्हारे विचारसे इसका क्या निर्णय हुआ ?" उसने कहा,-"बकरीके पेट में वायु (संवर्तवायु) की कुछ ऐसी ही प्रबलता है, जिससे लेंड़ियां गोल हो जाती हैं।" इसके बाद दूसरे पहर नींद टूटने पर भी राजाने रोहकसे पूछा,-"अरे! क्या तुम्हें नींद आ गयी ?" यह सुन, उसने सावधान होकर कहा"स्वामी! मुझे नींद तो आती ही नहीं।" राजाने पूछा,-"तब मेरे पुकारनेके इतनी देर बाद तुम क्यों बोले ?" उसने कहा,-"महाराज ! मैं कुछ सोच-विचारमैं पड़ा हुआ था " राजाने पूछा,--"क्या सोच रहे थे ? उसने कहा,-"महाराज मैं यही सोच रहा था, कि पीपलके पत्तेका नीचे वाला हिस्सा मोटा होता है या ऊपरवाला!” राजाने पूछा,-तुमने इसका क्या यिर्णय किया। उसने कहा,--"मेरे विचारसे ये दोनों ही भाग एकसे होते हैं।" यह सुन, राजा फिर सो गये। तीसरे पहरमें फिर उन्होंने जागते ही पूछा,-"क्यों जी! जगे हो या ॐध रहे हो ?" उसने कहा,-"जगा हूँ, पर कुछ विचारमें पड़ा हुआ हूँ।" राजाने पूछा,-"क्या विचार कर रहे हो ?" उसने कहा,--"मैं यही सोच रहा था, कि गिलहरीका शरीर बड़ा होता है या पूंछ बड़ी होती है ? और उसके शरीर पर श्यामता अधिक है या श्वेतता ?" राजाने पूछा, आखिरकार, तुमने क्या निर्णय किया ?" उसने कहा मैंने यही निश्चय किया है, कि उसका शरीर और पूँछ, दोनों बराबर होते हैं और उसकी स्याही सफ़ेदी भी . एकसी है।" इसके बाद राजा फिर सो रहे ।चौथे पहरके अन्तमें उनकी नींद ट्टी। उस समय रोहक नींदमें बेसुध पड़ा था / यह देख, राजाने उसे एक कॉटेसे गोंद दिया। तुरत ही उसकी नींद खुल.गयी। राजा ने कहा,-"क्यों ? खूब नींद आयी थी न ?" उसने कहा, "हे स्वामी! P.P.AC.Gunratnasuri M.S Jun Gun Aaradhak Trust