________________ साहित्य प्रेमी मुनि निरन्जनविजय संयोजित तब शुकराज गुरु महाराज की आज्ञानुसार शीघ्र ही उठ कर हर्ष पूर्वक स्पष्ट शब्दों में इस प्रकार बोला "अणुजाणह पसाऊ करी" हे गुरु महाराज कृपा करके वदना करने की आज्ञा दीजिए। तब गुरु महाराज ने कहा कि 'इच्छं" पुनः वह राजकुमार बोला कि-"इच्छामि खमासमणों वदिऊ, जावणि जाए निसीहिआए मत्थरण वदामि" इस प्रकार छोटे बालक को बोलता और भक्ति पूर्वक वन्दना करते हुए देख कर सब लोग अपने मन में आश्चर्य चकित हो गये। बोलकर मुनि बन्दना करता हुआ उस बाल को, देख कर सब चकित हैं फिर पूछते इस हाल को / / राजा ने पुनः पूछा कि "हे भगवान ! मेरे पुत्र को ऐसा क्यों हो गया ? श्री केवली द्वारा शुकराज के पूर्व जन्म का कथनः-- मृगध्वज महाराज के प्रश्न का उत्तर देते हुए केवली भगवान ने मधुर वाणी से फरमाया कि हे राजन ! इस राजकुमार के पूर्व जन्म का सब वृतान्त सुनो, इसके बाद केवली मुनीश्वर शुकराज का पूर्ण जन्म का सारा हाल राजा और सभा जन को सुनाने लगे-'पूर्व काल में 'भदिलपुर' में न्याय निषुण 'जितारी' नाम का राजा राज्य करता था, वह एक दिन राजसभा में बैठा हुआ था, उस समय द्वारपाल ने आकर नम्र निवेदन किया, 'हे राजन! MA P.P.AC.Gunratnasuri M.S. Jun Gun Aaradhak Trust