________________ विक्रम चरित्र केवली मुनि से शकराज के विषय में प्रानाः ___“धर्म देशना बाद में किया प्रश्न गुरू से। . . भूप समझने के लिये-किया यत्न शुरू से // - कहिये कृपाकर क्यों हुआ-इस वृक्ष नीचे आज है। पुत्र वाणी बन्द जिससे-यर्थ मेरा राज है // " CMS धर्मोपदेश के पश्चात् राजा ने केवली भगवान से पूछा कि हे भगवान ! मुझ पर प्रसन्न होकर यह बात बतायें कि इस वृक्ष के नीचे मेरे पुत्र की वाणी क्यों बन्द हो गई ? तब केवली भगवान ने कहा कि “इस पृथ्वी पर पुन्य और पाप के प्रभाव से प्राणियों को अनेक प्रकार के सुख और दुख प्राप्त होते हैं, क्योंकि कोई व्यक्ति हजारों का भरण पोषण करता है तथा कोई लाखों का भरण पोषण करने वाला होता है, कई मनुष्य ऐसे भी होते हैं, जिसको कि अपना एक का भी भरण पोषण करना मुकिल हो जाता है, इसका कारण अपना ही पुण्य अथवा पाप है।" ... केवली भगवान ने पुनः कहा “हे राजन ! मैं तुम्हारे पुत्र को / शीघ्र ही बोलने वाला कर दूंगा माप मत घबराइए / " तब राजा ने कहा कि हे स्वामी ! मेरे पुत्र को आप दगाकर / तत्काल स्पष्ट बोलने वाला बना दीजिए। तब केवली भगवान ने उस राजपुत्र को कहा कि हे शुकराज! विधिपूर्वक मुझे वंदना करो। P.P.AC.GunratnasuriM.S. , Jun Gun Aaradhak Trust