________________ विक्रम चरित्र दोहदर-विचार उत्पन्न होने लगे अर्थात् रानी कमल-माला के मन में अभिलाषा हुई कि नगर के जिनेश्वर देवों के मदिरों में ठाट-बाट से पूजा करवाई जाय, जीव दया पलाई जाय इत्यादि / राजा मगध्वज ने भी अपनी पटरानी कमलमाला की अभिलाषाओं को सम्मानित कर पूर्ण की। जिससे पटरानी आनन्द पूर्वक अपना गर्भ पालन करने लगी। गर्भ के नव मास पूर्ण होने पर जैसे पूर्व दिशा में चन्द्रमा-उदय होता है उसी प्रकार पटरानी कमला-माला ने शुभ दिन में पुत्ररत्न को जन्म दिया। पुत्र का 'शुकराज' नाम करणः- मृगध्वज राजा ने पुत्र जन्म के हर्ष से सारी प्रजा को अन्न पान आदि देकर सम्मानित किया। पुत्र जन्म का शानदार उत्सव मनाया / स्वजनों से विचार कर शुक-स्वप्न के अनुसार उस पुत्र का नाम 'शुकराज' ही दिया / पुत्र क्रमशः पच धाव माताओं से लालन-पालन होता हुआ पांच का होगया। सारे परिवार को आनद तथा सभी के मन को मोहने वाला वह राजकुमार प्रति दिन शुक्ल पक्ष की चन्द्र कला की तरह बढ़ने लगा। एक दिन मगध्वज राजा अपनी प्रिया और पुत्र के साथ क्रीड़ा करता हुआ उस उद्यान में आम की छाया में बैठ कर प्रिया 1. दोहद-गर्भनी स्त्री की गर्भ समय में होने वाली इच्छायें / P.P. Ac. Gunratnasuri M.S. Jun Gun Aaradhak Trust