________________ विक्रम चरित्र ऋषि कन्या कमल माला का राजा के साथ लग्नः इसके बाद तपस्वियों में श्रेष्ठ वह गांगलि ऋषि ने अपनी पुत्री को जाप-विधि के सहित पुत्र उत्पादक मन्त्र दिया, क्योंकि प्राणियों को जंगल आदि विषम-स्थान में जाने पर भी धर्म के प्रभाव से राज्य, कन्या, लक्ष्मी आदि की प्राप्ति अवश्य होती है। दूसरे दिन राजा ने कहा कि-'हे महर्षि ! इस समय मेरा राज्य सूना पड़ा है इसलिए ऐसा उपाय कीजिए कि मैं अपने स्थान पर यहां से शीघ्र पहुंच जाऊ।" ऋषि ने उत्तर दिया ! "इस समय मेरे पास रेशमी दुकल आदि उत्तम वस्त्र नहीं हैं।" केवल बलकल के ही वस्त्र हैं / और दूसरा मेरे पास कुछ भी नहीं है / इसी समय ऋषि क्या देखते हैं कि पास ही खड़े वृक्ष की शाखाओं में से सुन्दर आभूषण तथा वस्त्र बरस रहे हैं और उनका ढेर हो गया है। सच है, पुण्य के प्रभाव से असंभव पदार्थ भी पुरुष को प्राप्त हो सकता है / जैसे, रामचन्द्र जी के समुद्र पार उतरने के लिए मेरू के समान विशाल पर्वत भी समुद्र में तैरने लगे थे / पुण्य के प्रभाव से ही चन्द्र और सूर्य आकाश में भ्रमण कर रहे हैं / पुण्य के प्रभाव से ही वृक्ष फल देते हैं / पुण्य के प्रभाव से ही मेघ जल बरसाता है और पुण्य के प्रभाव से ही समुद्र भी मर्यादा का उल्लंघन नहीं करता!' पुण्य प्रभाविइं शशी सूर्य चालई, पुण्य प्रभाविइं फल वृत्त आलिई पुण्य प्रभाविई जल मेघ मुकई, समुद्र मर्याद थीकोन चुकई // 76|| Jun Gun Aaradhak Trust P.P. Ac. Gunratnasuri M.S.