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________________ 14 विक्रम चरित्र MAnnnnnnnnnnnnovan MAAN को देवांगनाओं के समान मान रहे हो !" इस प्रकार कहने पर भी जब उस राजा ने गर्व नहीं छोड़ा तब वह शुक पुनः देव भाषा में कहने लगा / “हे राजन् ! तुम्हारी अंतःपुर की स्त्रियों से भी अधिक सुन्दर रूपवाली 'कमल माला' नामकी श्री गागलि ऋषि की कन्या है। ____ यदि तुमको उसका रूप देखने की इच्छा हो तो मेरे पीछे पीछे चले आओ। ऐसा कहकर वह शुक वहाँ से उड़ गया। शुक के पीछे मृगध्वज राजा का जाना इसके बाद राजा अत्यन्त उत्सुक होकर अपने सेवकों से. कहने लगा कि "वायुवेग वाले घोड़े को तैयार कर शीघ्र लाओ।" . सेवकों ने राजा की आज्ञानुसार अच्छा घोड़ा लाकर खड़ा कर दिया। राजा सुसज्जित होकर उस घोड़े पर सवार हो शुक के पीछे पीछे वहां से चल दिया। . राजा के जाने के बाद उसकी सेना, परिवार आदि ने कुछ ' " दूर तक तो राजा का पीछा कर उसकी खोज की; परन्तु जब राजा को नहीं देखा तब उदास होकर नगर में लौट आये / क्योंकि सचिव (मंत्री) रहित राज्य, अस्त्र-शस्त्र रहित सेना, नैत्र रहित मुख, मेघ रहित वर्षा ऋतु, धनी व्यक्तियों में कृपणता, घृत रहित भोजन, दुष्ट स्वाभाव वाली स्त्री, प्रत्युपकार (बदला) चाहने वाला मित्र, प्रभाव रहित राजा, भक्ति रहित शिष्य, धर्म रहित P.P. Ac. Gunratnasuri M.S. Jun Gun Aaradhak
SR No.036483
Book TitleSamvat Pravartak Maharaja Vikram
Original Sutra AuthorN/A
AuthorNiranjanvijay
PublisherNiranjanvijay
Publication Year
Total Pages754
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size455 MB
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