________________ साहित्यप्रेमी मुनि निरञ्जनविजय संयोजित में गिरे, इस से सभी जनों के मन में भी आश्चर्य हुआ. तब राजसभा में रही हुई वतालिक की पत्नीने अपने पतिके सब अवयवों को नीचे गिरा हुआ देख कर राजा से इस प्रकार कहा, 'हे राजन् ! आप मेरे भाई हैं, मेरे पति स्वर्ग में मर गये है. अतः आप ऐसी व्यवस्था करें कि जिस से मैं अपने पति के अवयवों के साथ अग्निप्रवेश करु-काप्टभक्षण करूं.' महाराजाने कई हेतु और युक्तिपूर्वक उसे अग्नि में जलने से रोकना चाहा, लेकिन उसने नहीं माना, सभी लोक आश्चर्य सहित देख रहे थे, उसी समय वैतालिक की स्त्रीने अपने पति के अवयवों को लेकर नगर बाहर जा कर जल्दि से अग्निप्रवेश किया. इस से राजा शोकातुर हुआ. वह अधी सभा में आकर बैंठा, उतने में वैतालिक आकाश में से आकर महाराजा को इस प्रकार कहने लगा, 'आप के प्रसाद से मैंने क्षणमात्र में स्वर्ग में विजय प्राप्त की है. युद्ध के मैदान में दानव हार गये हैं, और देव जीत गये है, इस से इन्द्रने मेरा बहुमान किया है, अब मैं अपनी पत्नी को लेकर अपने स्थान पर जाता हूँ, मेरी पत्नी मुझे दीजिये.' यह सुन कर महाराजा विस्मय हुए, तथा विपाद से विवश और दीनभाव वाले महाराजाने उस को उस की पत्नी का अग्निप्रवेश आदि का हाल सुना दिया. यह सुन कर वैतालिक बोला, 'हे राजन् ! आप झूठ क्यों बोल रहे है ? मेरी प्राणप्रिया पत्नी अभी आप के अंतःपुर में ही विद्यमान हैं.' P.P. Ac. Gunratnasuri M.S. Jun Gun Aaradhak Trust