________________ साहित्यप्रेमी मुनि निरञ्जनविजय संयोजित आदि में सब गुणों में मुख्य साहस गुणवाला साहसिक कोन था?' शय्या बोली, 'हे राजन् ! मैं नहीं जानती, कि उन में अधिक साहसी कौन है. महाराजाने कहा, 'जो जानते हुए भी इस का जवाब न देगा, उसे सात गावों को जलाने का पाप लगेगा.' उस समय हत्या के भय से शय्या में रही हुई उस राजकन्याने कहा, 'निश्चय ही महाराजा को उन चारों में अधिक सत्त्वशाली जानना चाहिये. क्यों कि महाराजा ही पृथ्वी का आधार है, सेवक नहीं.' इस प्रकार महाराजाने रात में कन्या को चार बार बुलाया अर्थात् महाराजा के प्रश्नों का उत्तर देने के लिये उसे चार बार बोलना पडा. प्रभात में सुंदर महोत्सवपूर्वक महाराजाने उस के साथ लग्न किया, तत्पश्चात् तिलंगदेश के राजा-सुरसुंदरी के पिताने कहा, 'हे महाशय ! उठिये और भोजन कीजिये.' विक्रमादित्य महाराजाने कहा, 'मैं ने चक्रेश्वरी देवी को सवालाख सोनामहोर भेट करने की मानता की है. अतः उसे दिये विना मैं भोजन नहीं करूंगा.' तब कन्याने भी यही कहा, अर्थात् सवालाख सोनामोहरों की मानता उसने भी की थी. भेरी आदि वाद्यों के शव्दपूर्वक महाराजा विक्रम अपनी प्रिया सहित चक्रेश्वरी देवी के मंदिर में गये, वहाँ उन दोनों ने अलग अलग भक्तिपूर्वक सवा लाख सोनामोहर देवी के सामने P.P. Ac. Gunratnasuri M.S. Jun Gun Aaradhak Trust