________________ साहित्यप्रेमी मुनि निरञ्जनविजय संयोजित महाराजाने जवाब दिया, 'मैं स्वबल से यहाँ आया हूँ, तब वह बकरा बोला, 'यदि ऐसा है, तो मेरी स्वामिनी यह जो पलंग पर स्थित हुई है उसे जो चारबार बुलावेगा उस से वह शादी करेगी.' तब महाराजाने अग्निवैताल से कहा, 'तुम्है दीपक में अधिष्ठित होकर मैं जो वार्ता कहूँ उस का स्पष्ट प्रत्युत्तर देनाः' तब अग्निवैताल दीपक में अधिष्ठित हो गया. बादमें महाराजाने दीपक से कहा, 'दीपक ! तुम मेरी बात का उत्तर दोगे?' तो दीपक बोला, 'मैं तुम्हारी बात में होंकारा दूंगा.' महाराजाने राजकुमारी को सुनाते हुए एक कहानी शुरू की 'कौशांबी नगरी में 'वामन' नामक ब्राह्मण रहता था, . उस को 'सावित्री:' नाम की पत्नी, 'नारायन' नामका पुन और 'गावित्री' नाम की पुत्री तथा 'अच्युत' नाम का एक मामा था, वह कन्या बडी हुई, और शादी करने लायक हो गई, यह जान कर उस के माता, पिता, मामा और भाई ये चारों व्यक्ति चारों दिशाओं में गये, और सुंदर वरों की शोध की. उस का वाग्दान संबन्ध तय कर के अपन घर आये. चारोंने परस्पर बात की. इस बातको सुनकर सब लोग आश्चर्य चकित हुए; और चिंता सागर में डूब गये. तय किये हुए मुहूर्त पर विवाह के लिये चारों वर अपने अपने स्वजनों को लेकर आ पहुंचे. जब वे चारों वर गावित्री से लग्न करने आये तो क्रोधित होकर आपस में लडने लगे. एक ने कहा 'मैं इस कन्या से शादी करुंगा.' दूसरेने कहा, 'मैं करूंगा.' इस तरह P.P.AC.Gunratnasuri M.S. Jun Gun Aaradhak Trust