________________ साहित्यप्रेमी मुनि निरञ्जनविजय संयोजित SEAR (WW CAT SHNO KRONA महाराजा विक्रम भट्टमात्र से अपना वृत्तान्त सुना रहे है. चित्र नं. 35 छींट दिया, जिस से वह उसी क्षण बन्दरी रूप बन गई. अपनी पुत्री को बन्दरी बनी हुई देख कर उस की अक्का जोर जोर से अपनी छाती पीट पीट कर रोने लगी, और करुण रुदन से अन्य लोगों को भी रुलाने लगी, फिर वैद्य, ज्योतिषी तथा मंत्र तत्रादि जाननेवालों को बहुत धन देकर अपनी पुत्री को ठीक कराने का प्रयत्न करने लगी. इधर भट्टमात्रने राजा विक्रमादित्य को मनोहर देष युक्त योगी बना कर जंगल में भेज दिया, और स्वयं गणिका के घर गया. गणिकाने उन्हे देखकर समझा, 'ये कुछ मंत्र संत्र मानले होगें' करुण स्वरसे उन से कहा, "मेरी पुत्री बन्दरी बन गई है. P.P. Ac. Gunratnasuri M.S. Jun Gun Aaradhak Trust