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________________ A bru AI / / शासनसम्राट् तपागच्छाधिपति अनेक तीर्थोद्धारक प्रौढ प्रभावशाली जैनाचार्य, पूज्यपाद स्वर्गीय श्रीनेमिसूरीश्वर गुरुभ्यो नमो नमः संवत्-प्रवर्तक महाराजा-विक्रम [ प्रथम भाग-परिचय ] गग्गे काम गवी भली, तत्त सुरतरु वक्ष / मम्मे मणि चिंतामणी, गौतम स्वामी प्रत्यक्ष / / इसी परम पवित्र भारतवर्ष में धन धान्य-समृद्धि आदि परिपूर्ण सुविख्यात मालव देश है / इसी मालव देश में क्षिप्रा नदी के तट पर प्रथम तीर्थकर श्री ऋषभदेव के सुपुत्र अवंती कुमार के नाम से प्रसिद्ध होने वाली अवंती नगरी है। जो वर्तमान में उज्जैन के नाम से प्रसिद्ध है। ___ इसी अवंती नगरी में आज से 2500 वर्ष पूर्व श्रमण भगवंत श्री महावीर स्वामी के समय में चन्द्रप्रद्योत राजा गज्य करता था। उनके बाद क्रमशः नवनन्द, चन्द्रगुप्त-चाणक्य, अशोक महाराजा, सम्राट संप्रति, आदि राजाओं ने न्याय नीति से यहां राज्य किया था। बाद में इसी नगरी में गंधर्व-सेन ( गर्द मिल्ल ) नामक राजा हुए। जिनके भर्तृहरि तथा विक्रमादित्य नामक दो पराक्रमी पुत्र / P.P. Ac. Gunratnasuri M.S. Jun Gun Aaradhak Tru
SR No.036483
Book TitleSamvat Pravartak Maharaja Vikram
Original Sutra AuthorN/A
AuthorNiranjanvijay
PublisherNiranjanvijay
Publication Year
Total Pages754
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size455 MB
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