________________ 458 विक्रम चरित्र गुरुदेव बोले, " हे राजन् ! तुम अपने पूर्व जन्म के संबंध को सुनोगुरुदेव द्वारा पूर्व भव कथन ___" आघाटक नामक नगर में चंद्र नाम का एक वणिक रहता था. उस के राम और भीम नाम के दो अतिशय प्रीतिपात्र मित्र थे. वे तीनों ही हमेशा प्रीतिपूर्वक साथ रहते थे. धीरे धारे उन के पास का सारा धन खर्च हो जाने से वे तीनो दरिद् हो गये. एक दिन दरिद्रता के दुःख से दुःखित हो वे तीनों विचार करने लगे, 'जैसे लोग अपनी कन्या के लिये सत्कुल आदि की तलाश करके ही कन्या व्याहते है, उसी तरह विधाता भी अच्छे कुल, विद्याशील, शौर्य, सुरूपता की ठीक तरह से परीक्षा करके दरिद्रता देता है.x लोगो में कहा जाता है कि मरे हुए व्यक्ति तथा द्व्य रहित होने से दुर्दशा को प्राप्त हुए दरिद् व्यक्ति, इन दोनो व्यक्तियो में मृत व्यक्ति अच्छा है, क्यों कि मृत को. तो उसके संतान से पानी भी मिलता है. लेकिन द्रव्यहीन को तो बिंदु मात्र पानी भी प्राप्त नहीं होता. बुरा भाग्य ऋण आलस बहु सुत भूख पेट में सदा रहे, यह पाँचो दुर्गुण दद्धि के, घर में आठों पहर रहे. .4 परीक्ष्य सत्कुल विद्या, शील शौर्य सुरुपताम् / विधिददाति निपुण कन्यामिव दरिद्रताम् // स. 11/6 / / P.P.AC.Gunratnasuri M.S. Jun Gun Aaradhek Trust