________________ साहित्यप्रेमी मुनि निरञ्जनविजय संयोजित 447 के लिये चला. रास्ते में जन समुदाय अग्निवैताल को इस तरह देखकर, आश्चर्यचकित, होकर कहने लगे, "अरे, इस वीरने तो वैताल की भी इस तरह बुरी दशा कर ढाली ?" my TICLRH -INE JITEN SONHANN SearcT Kee STRATE HINES ELU रूपचन्द्र वैताल पर स्वार होकर राजसभा में जा रहा है. चित्र न. 20 __ आपस में लोग बोलते थे, “यदि कोई पुरुष इस रूपचन्द्र के विरुद्ध बोलेगा तो, वह उसे इस अग्निवैताल के द्वारा मरवा डालेगा. देखो कितना आश्चर्य है कि, जो भूत प्रेत दूसरों के शिर चड कर जाते हैं, उस भूत, प्रेत को भी रूपचन्द्रने अपने वीरता से अपने वश में कर लीया है." . ऐसी बात सुन कर नगर के व्यापारी तथा अन्य लोग भी अपना अपना कार्य छोड के देखने लगे थे. कितनेक दूकानदार आदि जनसमूह अग्निवैताल के भय से भागने लगे. P.P.AC.Gunratnasuri M.S. Jun Gun Aaradhak Trust