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________________ जमीन पे गिरा हुआ ककण वहां के राजा के हाथ में आता है. वह अपनी राणी को देता है, राणी दूसरा कंकण के लिये हठाग्रह करती है, मंत्री से मंत्रणा कर राजा प्रजा को आभषण पहनकर भोजन के लिये निमंत्रण देता है, रूक्मिणी की सौतीली मा कमला अपनी पुत्री को आभषण पहेना कर भोजन के लिये भेजती है, मत्री आभषणयुक्त कमला की पुत्री को देख कर धाकधमकी से सब बात जान जाता है, अंतमें राजा और रूक्मिणी का लग्न होता है. राजा अपनी राणी को दिया हुवा क कण . ले लेता है. राणी निराश हो जाती है. - कुछ दिनों के बाद रूविमणी पुत्रा को जन्म देती हे, कमला रूक्मिणी को अपने घर ले आने के लिये अपने पति को कहती है. देवशर्मा राजा के ‘पास जाता हैं. और रूक्मिणी को घर ले आता है. एक दिन कमला उस को कुवे पे ले जा कर उस में गिरा देती है और अपनी पुत्री लक्ष्मी को राजा के वहां भेजती है. राजा कमला का कपट जान जाता है. और कूवे में गिरने तैयार होता है, मत्री उसको समजाता है. कूवे में गिरी हुई रूक्मिणी को तक्षक-नागदेव ले जाता है और पतिपत्नी के रूप में रहते है. तक्षक रूक्मिणी को उस के बच्चे के लिये कहता है, रूक्मिणी उस की आज्ञा लेकर राजा के वहां आती है और बच्चे को स्तनपान कराके कुछ आभषण छोड जाती है. दूसरे दिन राजा आभूषण देखता है, और अपनी पत्नी को पकडने के लिये तैयार होता है तीसरे दिन पतिपत्नी का मिलन होता है, तक्षक वहां आता है. राजाको डंस देता हैं, राजा उस को मार डालता है, और स्वयं भी मर जाता है, दोनों को मरे हुवे देख कर रूक्मिणी स्मशान में सेवकों के साथ मरसे आती है. वहां इन्द्रपुरा मेघनाद का यकायक आना, सबको जीवित करना. P.P.AC.Gunratnasuri M.S. Jun Gun Aaradhak Trust
SR No.036483
Book TitleSamvat Pravartak Maharaja Vikram
Original Sutra AuthorN/A
AuthorNiranjanvijay
PublisherNiranjanvijay
Publication Year
Total Pages754
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size455 MB
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