________________ 324 . . विक्रम चरित्र जांच करने का निश्चय किया, पुनः वह पति को लेकर सुन्दर चित्रशालामें गई, इस चित्रशालामें पशु, पक्षी आदि कई प्रकारके सुंदर चित्र चित्रीत थे, जैसे ग्वाले गायों व भैसे चराते हो और कुँवे पर पणीयारियां पाणी भरने जाती हो, बागमें छोटे छोटे बच्चे खेलते हो, सुन्दर राजसभा बैठी हो उसमें राजा, सामंत, शेठ, व्यापारी आदिसे सुशोभित हो, और चोर डाकूओं के कई प्राचीन संस्कृतिदर्शक सुन्दर सुन्दर चित्र थे. ___ राजकुमारी अपने चित्रशालामें स्वयं गुप्त रूपसे छिपी रही. उसका पति सब जगह घूमा. पर कहीं भी कुछ न बोला. आखिर में जाते जाते वह भैंस चराता हुए एक खाले के चित्र के समीप पहूँचा, उसे देखते ही वह गोपाल अपनी स्थिति का विना विचार किये ही प्रसन्न होकर "डीउ डीउ" शब्द का उच्चारण करने लगा. , यह देखते ही राजकुमारी को अब पूर्ण रूपसे निश्चय हो गया, " मेरा पति अवश्य ही कोई भैस चरानेवाला गोपाल है। क्यों कि " आकारोसे वचन, गमनसे, देहदशा संस्कारों से; नर की जाति समजमें आती, ऊँच नीच' व्यवहारोंसे." 'मनुष्य की उच्च या नीच कुल जाति आदि उसके व्यवहार शरीर, वचन और आकार से ही प्रगट हो जाती है.' . इस प्रकार वह सोचने लगी, “संसार के मानव P.P.AC.Gunratnasuri M.S. Jun Gun Aaradhak Trust