________________ विक्रम चरित्र प्रिय पुत्री प्रियंगुमंजरी के लिये यह योग्य वर खोज लाया हूँ. इस प्रकार अपनी वाकूचातुरी से महाराज को वेदगर्भने प्रसन्न कर लिया. कुछ समय पश्चात् राजाने शुभ दिन के शुभ मुहूर्त में प्रियंगुम जरी का विवाह उस गोपाल के साथ कर दिया. इधर उस गोपाल का विवाह प्रियं गुम जरी के साथ होनेसे वेदगर्भ अपनी सफलता पर अति प्रसन्न हुआ. उसने उस गोपाल को यह भी कह दिया, " तुम कुछ समय किसीसे नहीं बोलना, तेरे इस प्रकार मौन रहेने से तुम्हें लोग पंडित समझने लगेगे." EMAKASH Sas राजपुत्री अपने पतिको पुस्तक संशोधनार्थ देती है. चित्र नं. 2 P.P. Ac. Gunratnasuri M.S. Jun Gun Aaradhak Trust