________________ साहित्यप्रेमी मुनि निरञ्जनविजय संयोजित NUDIMOLOTEMOVEX JESUS ASAVIIIIII Tauruuuuuuuuuurumaunee TATCHINA 12 STER SARS HARA SARAL HTSER283 RECam Mool TulapurionlimsaiGOINEE - - काका राजा Muturnia) राक्षस पूजा करने बैठा और विक्रमने दण्ड उठा लिया. 'चित्र नं. 18 ... विक्रमादित्य कहने लगा, "रे रे राक्षसाधम ! तेरे इस प्रकार गर्व करनेसे क्या मैं भयभीत हो जाऊँगा ? देवताओंसे भी असाध्य खर्पर नामके चोरको मैंने क्षणमात्रमें ही यम-लोकको पहुँचाया है. देवताओंसे भी .दुर्ग्राह्य अग्निवैताल दैत्यको क्षणमात्रमें ही मैंने अपना सेवक बना लिया है। इस प्रकार अन्य दैत्योंको भी मैंने मारे और "आधीन किये है ? मैं विक्रमादित्य आज इस पुरको ध्वंस-उजड़ करनेके पापका प्रायश्चित तुमको अभी देता हूँ. क्या तुमने पृथ्वीमें भ्रमण करते, हुए मुझ–विक्रमादित्यको आज तक देखा या सुना नहीं है ? P.P. Ac. Gunratnasuri M.S. Jun Gun Aaradhak Trust