________________ 232 विक्रम चरित्र सच ही कहा है किचिंतासे चतुराई घटे, घटे रूप और ज्ञान चिंता बड़ी अभागणी, चिंता चिता समान.॥ दूसरे दिन नगरीमें महाराजाका भ्रमण ____ दूसरे दिन प्रातःकाल होते ही महाराजा अपने ईष्ट देवादि का स्मरण करते सुखशैया से उठे और शौच' आदि प्रातःकार्य किये बाद में देवदर्शन-देवपूजादि नित्यकार्य पूर्ण कर महाराजा राजसभामें पधारे; छड़ीदारने छड़ी पुकारी. सभाजनोंने खड़े होकर राजाजीका सन्मान किया. देवदमनी तो राजसभामें प्रथम से ही आकर महाराजा की प्रतीक्षा कर रही थी. महाराजाने आते ही पूर्व दिनकी अपूर्ण रही हुइ चौसरबाजी खेलने का आरंभ किया. पूर्व दिन की तरह ही सारा दिन बीता, तीसरा प्रहर बीतने पर शेष दिन रहा तब मंत्रीगण. के आग्रह से बाजी पर वस्त्र ढांककर महाराजा भोजन करने के लिये : उठे / भोजन आदि सब कार्य निपटाकर रात्रि होते ही वेश बदल कर नगरीमें भ्रमण करने चले, भ्रमण करते महाराजा कारु और नारी के पा९में आ 1 कारु और नारु की जाति के नाम:। चक्रिको मोचिको लोहकारी रजक गंच्छिको माछिकः शूचिको भिल्ली बालिका कारवो नवीस. 8 // . स्वर्णकृन्नापितः:: : कान्दविकः . कौटुम्बिकस्तथा.. मालिकः काछिकश्चापि ताम्बुलिकश्च सप्तमः // स. 1-49 // F: मन्धर्वः कुम्भकारः स्यादेते। नारक स्मृताः I कोर-चिकित करनेवाले सुतार करेगा मोबिलोहारू / P.P.AC.Gunratnasuri M.S. Jun Gun Aaradhak Trust