________________ 184 साहित्यप्रेमी मुनि निरञ्जनविजय संयोजित के मेले का वर्णन आदि के समाचार, समाचार पत्रों में पढ़ने वाले महानुभाव तथा भारत की प्रसिद्ध नगरी बम्बई, राजधानी दिल्ली और कलकत्ता आदि जैसे नगरों के निवासी यह भलि प्रकार जानते हैं कि इन उपरोक्त अवसरों पर भी कितने विशाल समूह में मानव-भेदनी एकत्र होती है / जिसको सख्या करना तो दूर रहा पर अनुमान तक लगाने में बड़ी कठिनाई प्रतीत होती है / सरकार के व्यवस्था करने वाले कर्मचारी, पुलिस, रेल आदि के कार्य कर भी असफल हो जाते हैं। मानव समाज पर काबू पाना मुश्किल होजाता / यह सब जानकर भी अगर हम अपने पूर्व परिचित राजा महाारजा विक्रमादित्य के संघ की विशाल मानव मेदनी के विशाल समूह पर भी शंका कर बैठे तो फिर यह दोष तो किसे दिया जाय फिर तो कर्म की विचित्रता ही माननी होगी। राजा विक्रमादित्य का विशाल संघ के साथ प्रयाण__ महाराजा विक्रमादित्य के संघ में महान् चौदह बड़े बड़े मुकटधारी राजा थे। सित्तर लाख शुद्ध श्रावकों के कुटुम्ब थे। श्री सिद्धसेनदिवाकरसूरीश्वरजी आदि क्रियाकलाप में कुशल और सद्गुणी पांच सौ. जैनाचार्य सह परिवार भी तीर्थ बन्दना करने हेतु महाराजा विक्रमादित्य के साथ थे / छः हजार नौ सौ सुवर्ण के श्रेष्ट देवालय तथा अत्यन्त मनोहर तीन सौ चाँदी के देवालय थे। पाँच सौ हस्तिदन्त के देवालय और अठारह सौ काष्ठ के देवालय भी संघ के साथ थे। दो लाख नौ P.P. Ac. Gunratnasuri M.S. Jun Gun Aaradhak Trust