________________ निराश होकर- शुकराज का गमन और अपने पिता-कवली मुनि से एकाएक मिलन। VA) P.P.AC.GupratnasuriM.S. (मु. नि. वि. संयोजित. विक्रम चरित्र दूसरा भाग चित्र नं. 25-26 SHARE Jun Gun Aaradhak Trust FOR ASIANDIA S : एक दिन शाकाशमों से जाता हुआ अपने विमान को अचानक एका देख कर शुकराज सोचने लगा कि " मेरे जले हुए घाव पर यह क्षार - खार और कहां से आ पड़ा।" पृष्ट 128