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________________ साहित्यप्रेमी मुनि निरञ्जनविजय संयोजित 116. - इस प्रकार मंत्रियोंको समझाकर शुकराज दोनों पत्नियों के साथ विमान पर आरूढ होकर आकाशमार्गसे श्री जिनेश्वर देशको प्रणाम करने के लिए चल दिया। चन्द्रशेखर का शुकराज रूप धारण करना इधर चंद्रवती स्वयं गुप्त रूप से देवता द्वारा शुकरूपधारी चन्द्रशेखरको ले आई तथा देवीके प्रभावसे शुकराज का रूपधारी चन्द्रशेखर रात्रि में ऊचे स्वरसे शब्द करता हुआ उठा और कहने लगा कि कोई विद्याधर मेरी दोनों स्त्रियों को लिये हुए जा रहा है, इसलिये हे लोगों ! उसका पीछा शीघ्र करो।' . इस प्रकार की घटना होते देख वहां मंत्रियों ने आकर पूछा कि आप कब आये ? ___ तब वह कहने लगा कि "मैं अभी गत्रिमें बिना यात्रा किये आ रहा हूँ'; कोई दुष्ट विद्याधर मेरी दोनों स्त्रियों को छल से लेकर मेरे देखते ही देखते पूर्वदिशामें चला गया / " तब मंत्रियों न कहा कि आपकी आकाशगामिनी विद्याका क्या हुआ ? तब इसने उत्तर दिया कि उस दुष्ट विद्याधर ने मेरी आकाशगामिनी विद्याका भी हरण कर लिया है। मंत्रियों ने कहा कि दोनों स्त्रियो के साथ विद्याधर को / जाने दीजिये परन्तु आपके शरीरमें तो कुशल है न ? Jun Gun Aaradhak Trust P.P. Ac. Gunratnasuri M.S.
SR No.036483
Book TitleSamvat Pravartak Maharaja Vikram
Original Sutra AuthorN/A
AuthorNiranjanvijay
PublisherNiranjanvijay
Publication Year
Total Pages754
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size455 MB
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