________________ साहित्य प्रेमी मुनि निरञ्जनविजय संयोजित - सेवकों ने जांच करके कहाकि यात्री संघ "शंखपुर" का रहने . 'वाला है, सौराष्ट्र देश में आया हुआ है, श्री सिद्धाचल महातीर्थ पर श्री आदिनाथ भगवान को प्रणाम करने, के लिये जा रहे हैं। वे लोग नगर बाहर के उद्यान में विश्राम के लिए ठहरे हुए हैं, ये लोग वहां से इस नगर में जिनमंदिर में दर्शन करने जारहे हैं।" - - - - - - राजा मृगध्वज ने यात्री संघ के विश्राम स्थान में जाकर उस संघ के साथ पधारे हुए श्रीश्रुतसागर सूरीश्वर'नामक गुरू को भक्ति। पूर्वक प्रणाम करके हाथ जोड़ कर पूछा कि आप लोग श्री सिद्धाचल तीर्थ पर क्यों जा रहे हैं ? तीर्थ महिमा का कथनः___ तब सूरीश्वरजी ने कहा कि "उस महातीर्थ का जन शास्त्रों में बहुत बड़ा महात्म्य है,"। श्री सिद्धाचल महातीर्थ के ऊपर बिराजित श्री प्रथम तीर्थ कर प्रभु के दर्शन मात्र से सज्जनों को दिव्यदृष्टि प्राप्त होती और पाप नष्ट होता है अर्थात् उनके प्राणियों के लिए अमृतांजन के तुल्य है और संसार के मोहजाल में 'फंसे हुए अज्ञानियों के लिए ऐसा अपूर्व धूआं है कि जो सारे अज्ञान को आंसू रूप से बहाकर नष्ट कर देता है। इस संसार रूप महासमुद्र में एक छोटे से सरोवर की तरह पार उतार देता है, जो प्राणी को श्रीसिद्धाचल दूर से भी दृष्टि गोचर होने पर पुण्य को प्राप्त करता है, वह मनुष्य जन्म सफल बनाता P.P.Ac nasuri M.S. Jun Gun Aaradhak Trust