________________ ' 64 ] * रत्नपाल नृप चरित्र * . उद्योग से संसार रूपी समुद्र को पार करके जितात्मा लोग शीघ्र परम पद को प्राप्त हो गये / तुम्हारे लिए इसका दृष्टान्त मुग्धभट्ट-पत्नि का है। जिसने मन को जीतकर जल्दी ही परम पद को पाया। वह दृष्टान्त इस प्रकार है: पहिले समय में रमणीक प्रदेश वाला कौशाम्बी नगरी के पास समृद्धिमान् शालिग्राम नामक गांव था। उस गांव में सुन्दर गुणों का खजाना दामोदर नामक ब्राह्मण रहता था। उसकी स्त्री का नाम सोमा था। जिस प्रकार शंभु की प्यारी उमा है, उसी भांति वह उसकी प्राणप्रिया थी / उन दोनों के मुग्ध स्वभाव वाला “मुग्धभट्ट" नामक पुत्र हुआ। उनकी पुत्रवधू "यथा नाम तथा गुणः" इस कहावत के अनुसार सुलक्षणा नामक थी, जो श्रेष्ठ कुल में उत्पन्न हुई थी। किसी समय माता-पिता के मरने के बाद मुग्धभट्ट दारिद्रय के कारण अपनी स्त्री को घर में ही छोड़ . कर देशान्तर को चला गया / वृद्ध बूढे सासु-ससुर के और .. बालक के न होने से वह घर में अकेली थी। वह सती कुल के कलंक के भय से असद् आचरण से सदा भयभीत. रहती थी। उस समय चंचल स्वभाव वाले यौवन के कारण उच्छृखल और विषयों को स्मरण करते हुए अपने मन को वह निरोध करने में असमर्थ हुई। तब उस सती ने बड़े P.P. Ac. Gunratnasuri M.S. Jun Gun Aaradhak Trust