________________ तृतीय परिच्छेद 8 MIX स र्य के सदृश प्रतापी उस नूप ने अपने परिपक्क पुण्य 1 से समृद्धिशाली राज्य पाया। और उसका पालन करता था। जो मनुष्य अपूर्व आश्चर्ययुक्त कथा को कहता था, उसे राजा दस लाख स्वर्ण मुद्रा इनाम देता था। उदाराशय वह नृप लाखों दीन दुखियों, दुर्बल अनाथों को प्रतिदिन दस लाख सुवर्ण मुद्रा देता हा उन्हें आश्वासन देता था। काव्य के रस का मर्मज्ञ वह नप नवीन काव्य के बनाने वाले को दस लाख सुवर्ण मुद्रा पारितोषिक देता था। 'सब स्थानों में फैल रही है कीर्ति जिसकी, कीर्तिदान से उल्लसित है बुद्धि जिसकी' ऐसा वह नप याचकों को दो लक्ष सुवर्ण मुद्रा सदा वितीर्ण करता था। धर्म के प्रभाव P.P. Ac. Gunratnasuri M.S. Jun Gun Aaradhak Trust