________________ D000000000000000000 पुण्याढय सान्वय भाषान्तर. 8) be000000 अर्थः-चातकपक्षीनी पेठे उंची नजर करीने तें जलबिंदु पडवानुं ( स्थान ) जोवा लाग्यो, एटले जेमाथी अश्रुजल टपके छे, एवी ते साधुनी एक आंख तेणे जोइ. // 188 / / निरीक्ष्य निपुणं दक्षः स्ववयस्यानुवाच सः। नेत्रं मुनेदुनोत्यस्य दृश्यतामेष कण्टकः // 189 // . . अन्वयः-दक्षः सः निपुणं निरीक्ष्य स्ववयस्यौ उवाच, दृश्यता ? एषः कंटकः अस्य मुनेः नेत्रं दुनोति. // 189 // अर्थ:-चतुर एवा ते वामने सारी रीते तपासीने पोताना बन्ने मित्रोने कयु के, जुओ! आ कांटो आ मुनिना चक्षुने कष्ट आपेछ / 189 मारुतोर्मिधुतो नूनमयमस्यापतद्दशि / नाकृष्येत शरीरेऽपि निरीहेणामुना पुनः॥ 19 // ___ अन्वयः-नूनं मारुतोर्मिधुतः अयं अस्य दृशि अपतत्, पुनः शरीरे अपि निरीहेण अमुना न आकृष्येत / / 190 // . अर्थः-खरेखर वायुना झपाटाथी उडीने आ कांटो आ मुनिनी आंखमां पडेलो लागे छे, परंतु शरीरनी पण ममता विनाना एवा आ मुनिए ते कांटो पाछो खेंची कहाड्यो नथी. // 190 // . 00000000000000000000 Jun Gun Aaradhak met AISA