________________ Shree BECORDISO9000000000 पुण्यढिय चरित्र 206 // सान्वय भाषान्तर 1206 / पूर्वस्मादुत्तरेणैव वपुषा विपूलद्युतो / जातेऽस्मिन्बन्धुवर्गस्य प्रावर्तन्त महोत्सवाः // 498 // अन्वयः- पूर्वस्मात उत्तरेण एव वपुषा विपुलद्युतौ अस्मिन् जाते बंधुवर्गस्य महोत्सवाः पावर्तत. // 498 // अर्थः-पहेलाथी पण वधारे सारां थयेला शरीरवडे करीने घणा तेजवाळो ते केशव थये छते (तेना) कुटुंबवर्गमा महोत्सवी थवा लाग्या. // 498 // एवं प्रभावमुद्भाव्य केशवस्य नरेशितुः। दधौ व्याधिवधाय स्वे मूर्ध्नि पादोदकं न कः // 499 // अन्वयः-एवं केशवस्य नरेशितुः प्रभावं उद्भाव्य व्याधिवधाय स्वे मूनि कः पादोदकं न दधौ? // 499 // .... अर्थः-पवीरीते ते केशवराजानो प्रभाव जोइने (पोताना) रोगनो नाश करवा माटे पोताना मस्तकपर कोणे (तेनं) चरणोदक धारण न कयु? (अर्थात् सर्व रोगीओए तेम कयु.) // 499 // किं वर्ण्यः केशवोर्वीशः सिषेवे यत्पदोदकम् / भृतभाविरुजो भेत्तुमासमुद्रं नृपैरपि // 500 // , 0000000000000000000