________________ पुण्याच चरित्र 1200 सान्वय भाषान्तर 1200 अन्वयः-एतत् कि? इति तन्मात्रा दुरात् दीपे उपाहृते तत् अन्ने गरलं, च तुलापट्टे पन्नगः प्रदर्शि. // 484 // अर्थः-आ ते शुं थयु? एम (बोलती) तेनी माताए दूरथी दीवो (त्या)लाच्याबाद तेने पीरसेला अन्नमां झेर, तथा भारवटीयामा (लटकतो) सर्प जीवामां आव्यो. // 484 // धर्मशं मन्यमानेन त्वां तदा तदुदाहृतेः / कुटुम्बेन महाक्रन्दश्चक्रे दिक्चक्रविक्रमी // 485 // अन्वय:-तत उदाहृतेः तदा त्वां धर्मशं मन्यमानेन कुटुंबेन दिक्चक्रविक्रमी महादः चके. // 485 // .... अर्थः-ते उदाहरणथी ते वखते तने धर्मनो रहस्य जाणनार मानता एवा कुटुंचे दिशाओना समूहमा ब्यापे एवी महोटी रडा. पीट करवा मांडी. // 4 // 5 // तदाक्रन्दमिलल्लोकवर्ती विषभिषग्वरः। एको हि मान्त्रिकाह्वानकृतोद्यममुवाच माम् // 486 // * अन्वयः-तत् आक्रद मिलत् लोकवर्ती एका वरः विषभिषक् हि मांत्रिक आहान कृतोद्यमं मां उवाच // 485 // 0000000000000000 Gurtasun