________________ पुण्याढ्य चरित्रं सान्वय भाषान्तर 11.1 // 19 // 90000000000 * अर्थ:-एम कहीने (पोतानी) कांतिथी तेजस्वी करेल के दिशाओं जेणे, एवो उत्तम देव अदृश्य थइ गयो. अने ते केशव पोताने कोइक नगरनी पासे (उमेलो) जोवा लाग्यो / 463 // चतुर्भिः कलापक // प्राचीनाचलचूलाग्रचुम्बिन्यम्बुजबान्धवे / कृतप्रातःक्रियोऽथायं प्राचलत्पुरमीक्षितुम् // 464 // - अन्वयः-अथ अंबुज बांधवे प्राचीन अचल चूला अन चुंबिनि कृत मातः क्रियः अयं पुर ईक्षितुं माचलत् // 464 // अर्थ:-पछी सूर्य ज्यारे पूर्वांचलना शिखरना अग्र भागपर आव्यो, (अर्थात् सर्योदय थयो) त्यारे प्रभातनी नित्यक्रिया करीने ते केशव ते नगर जोवामाटे (आगळ) चालवा लाग्यो. / / 464 / / धर्माख्यानगिराहूतः स जीमूतरवश्रिया / आरामे वामतः सूरि सूरनामानमानमत् // 465 // अन्वयः--वामतः आरामे जीमूतवश्रिया धर्माख्यानगिरा आहूतः सः सरनामानं सूरि आनमः // 465 // अर्थ:-(एकामा) डावी बाजुए (आवेला) बगीचामा मेघनी गर्जनासरखी शोमती धर्मसंबंधी व्याख्याननी वाणीथी बोलावायेला