________________ प्रत्येक चरित्र श्रीमाता निजवेश्मनः // 70 // विहस्याथ नृपः प्राह / परगेहविषया // पुत्र्या खगेहशोषिण्या। प्रिये किं नाम साध्यते // 1 // जायते सह दैन्येन / वर्धते वरचिंतया // भवेत्कुलकलंकाय / याल्पदोषेण सूषिता // 2 // गुणमालाह नैकांता-सुता कुलकलंककृत् // सर. खतीव कापि स्या-त्कुलोन्नतिविधायिनी // 3 // तथाहि___श्रीवर्धनपुरे राजा / जयवर्धन इत्यनृत् // बुद्धिवर्धननामा च / मंत्री तस्य प्रशस्यधीः॥ // 4 // जायाजायत सद्बुद्धि-मैत्रिणो बुद्धिसुंदरी // तत्कुतिकमलोद्लूता। पुत्रिका जूत्सरस्वती // 5 // समस्तान्यस्तविद्यां तां / सुतामुनिन्नयौवनां // विवादयितुमारेने। पितात्यंतं महोत्सवं // 6 // समस्तनगरोद्ध-तोरणै रत्ननूषिजः // पुरी रत्नमयीं कृत्वा / परमामबरं व्यधात् // // आकार्य सकलं लोक-मेकेन श्रेष्टिसूनुना // सुतां व्यवाहयत्स्वीयां / दुदहानमुदारधीः // // अथो नोजयितुं नूपं / मंत्र्यामंत्रयितुं ययौ / तावदूचे सुता तात। नाकार्योऽत्र नृपस्त्वया // ए // राझामागंबरं दृष्ट्वा / चनुश्चलति लोजतः // विसृज्याडंबरं सर्व / जोज्य आकार्य भूपतिः // ए // स तथापि महत्त्वेच्छ-स्तदैवाकारयन्नृपं // सोऽपि || Jun Gun Aaradhak Trust PP.Ac:Gunratnasuri M.S.