________________ जर्जरजावकार / जय खंमितपंमितमानजार।॥६ए॥ जय सोढविमूढ दृढोपसर्ग।जय सेवकवर्ग कृतापवर्ग ॥जय गौरगुणावलिवर्धमान जय देवजयापरवर्धमान // // इत्यादिस्तुतिभिः स्तुत्वा चरित्रं भावयित्वा च नावनां॥ विरताखसुरस्त्रीषु।श्रीवीरं तौ प्रणेमतुः॥७॥अन्योन्यजातसौभदौ / परिवारसमन्वितौ // सौधर्मेंद्रचमरेंौ / खं स्वं सद्म समापतुः // 72 // अथ ये चमरेंद्रस्य / गतस्त्रिदिवंप्रति // ब्रष्टा आसन्नलंकाराः। किरीटस्तेविहापतत् // 73 // विपूरतरपातालं। जगामेति जुवोंतरे // सप्रजावोऽयमिति नो। विना जाग्यं स्फुटोऽजवत् // 7 // सांप्रतं तव राजेंड। जाग्यादाविरजूदयं // अथैतस्य प्रनावेण / त्वमजेय्योऽसि जुजां // 5 ॥श्रुत्वेति द्विमुखो राजा। प्रणम्य मुनिपुंगवं // आजगाम निजं धाम / प्रमोदजरमेदुरः // 6 // कालेन चित्रशाला स / चित्रकारकपूरुषैः // समाप्य शोजने घने / प्राविशत्तत्र नृपतिः // // 7 // अथान्यदा महाराझी / गुणमालां विषादिनीं // विनायवदनां दृष्ट्वा / किमीगिति पृष्टवान् // 7 // सा प्राह प्रिय ते राज्य-प्रसादादस्ति मे सुखं // सुता अप्यद्भुताः सप्त / सप्तसप्तिसमौजसः // ए // परमेकापि. नो पुत्री / पवित्रीकरणक्षमा // विवाहाद्युत्सवारने / Jun Gun Aaradhak Trust P.P.AC.Gunratnasuri M.S.