________________ प्रत्येक अथेंसोऽप्यपरावृत्तं / चिराद् शाखा स्वमायुधं // प्रयुक्तावधिविज्ञानो। ज्ञातव्यतिकरोऽजनि / / चरित्रं / // एए // हाहा साधर्मिकावज्ञां / कुर्वदेतत्वमाबुधे // संवृत्त्य दमयामीति। चिंतयामास वा. | सवः // 6 // ततः सत्वरमुखाय / प्रस्थाय जिनसंनिधौ // गत्वा नवा प्रचुं नक्त्या। वजं प्रत्यादुदे हरिः // 61 // ऊचे च चसरेंप्रेतो / बहिरागछ निर्नयः // साधर्मिकोऽसि संजातः। श्रीवीरश्रयणाश्रयात् // 65 // श्रुत्वेति चमराधीशो / निहृत्य जिनपांहितः // कृतखानाविकाकारः / श्रीवीरं ज़क्तितोऽनमत् // 63 // महता स्पर्धमानं तं / झावा स्वामिनमाकुलः // चमरेंद्रपरीवारो / अमंस्तत्रागमत्तदा // 34 // उबलन्महतीनक्ति-यथाशक्ति जिनेशितुः // पुरस्तादकरोन्नाट्यं / साकें परिकरेण सः // 65 // अथासुरांगना नाना-नृत्यांते मधुरस्वरं॥ श्रीमहीर जिनेंजस्य / गुणान् गायितुमुद्यताः // 66 // जय हेमसमानशीर वीर। जय मेरुमहीधरसारधीर // जय पातकरेणुमहासमीर / जय दुःखदवानलमेघनीर // 67 // जय जंतु शरण्य वरेण्यपुण्य / जय मानवदानवदेववर्ण्य // जय गांगतरंगयशोऽनिराम / जय कामविजं- || | जनधारधाम // 6 // जय मेरुमहागिरिकंपनेश / जय पादपवित्रितजूप्रदेश // जय निर्जय- || / Jun Gun Aaradhak Trust .'pp.Ac. Gunratnasuri M.S.