________________ प्रत्येक - चरित्र त्रिनिर्विशेषकं // तत्रादृश्यानिघातेन / रूपेण दोनकारिणा // किमेतदिति सातका ।कांदिशीका सजाजवत् // 40 // ब्रह्मांमस्फोट एषोऽभू-विंचोत्पाद्य जनाचलः // अत्र केनापि निःदिप्त / इत्याशंकापराः सुराः॥४ए // प्रपलाय ततः स्थाना-च्चेबुः समांतचेतसः // देव नो रद रद्देत्या-येक एवारवोऽजनि // 50 // जनिताखिलवैत्रासं / पुरालोकं दुरासदं // तं वी. क्ष्यावधिनासाक्षी-त्कोऽयमस्तीति देवराट् // 51 // ज्ञातव्यतिकरः स्फार-मत्सरः सोऽमरेश्वरः // प्राह रे चमोऽसौ / मां पातयितुमागतः // 55 // दणमामथ स्थेयं / वदन्नेवं खपाणिना // ज्वालामालाकरालं खं / दांनोव्यस्त्रं मुमोच सः // 53 // श्रुतप्रजावं मंत्रिन्यो। दृष्ट्वा तत्तादृशाकृति // आपतजमालोक्या-नश्यङ्गीतोऽसुरेश्वरः // 54 // महता तेन रूपेण / पलायितुमनीश्वरः // अल्पमपं वपुश्चके / तावद्यावदभृदतिः // 55 // स नश्यन् जूत लं प्राप्तः / पश्यन् पृष्टे बिजीषणं // वजं स कांदिशीकः सन् / शरण्यं समलोकत // 56 // वीरं पर्वतवझीरं / कायोत्सर्गस्थितं प्रजुं // विधाय शरणं कूर्मा-कारः पादतलेऽविशत् // 7 // तत्पृष्टमत्यजत्रं / तत्रायातं जिनेशितुः // प्रनावाच्च निहंतुं त-मदम परितोऽनमत् // 5 // // Jun Gun Aaradhak Trust P.P.AC. Gunratrasuri M.S.