________________ चरित्रं दापरायणैः // 36 // चतुर्निरधिकाशीत्या / सहरिंद्रसंनिनैः // सुरैः सप्तमहानीकैः / शतानि नाकिनायकैः // 37 // अहर्निशं सेव्यमानं / छारबछात्रमुप्रियं // श्रितमुच्चैःश्रवोश्वेनाखंमिताझं त्रिविष्टपे // 30 // नूतलाखिलपाताल-विमर्दनमविक्रम // सौधर्मे सुखार्थीकः / शुधबुद्धिर्विरोधयेत् // 35 // चतुर्जिः कलापकं // यस्योपरि स रुष्टः सन् / वज्रं मुंचति दारुणं // स देवो दानवो वापि / षएमासानाकंदकृघ्नवेत् // 40 // इत्येवं तेषु जम्पत्सु / ज्ञातव्यं सांप्रतं बलं // चमरेंलो वदन्नेवं / वार्यमाणोऽपि निर्ययौ // 41 // दणानिर्गत्य पातालादूतलाञ्चोपरि व्रजन् // सभां दोजयितुं देवि / रूपं चक्रे महत्तरं // 42 // स्वाजाविका अ. लंकारा–श्चमरेंजस्य देहतः // निपेतुः सकलाजूमौ / केयूरमुकुटादयः // 43 // लक्षयोजन-/मानं स / श्यामं क्रूरतराकृतिः // रूपं विकृत्य सौधर्म-सजायां समुपस्थितः // 4 // तिलोत्तमादिपात्रेषु / नृत्यं कुर्वत्सु लीलया // हूहूतुंबरुमुख्येषु / गायत्सु मधुरखरं // 45 // दिव्येषु वायमानेषु / वादित्रेषु सुरेषु च // चित्रालिखितवृत्त्यैव। कुतूहलविलोकिषु॥ ४६॥श| कस्मादेत्य दैत्योऽसौ / सादादंजनपुंजवत् // श्रीसुधर्मासनास्तंनं / तामयामास पाणिनाnam || Jun Gun Aaradhak Trus! P.P.AC.Gunratnasuri M.S..