________________ चरित्रं मेव मया हाहा / मौढ्यालाचीर्णमीदृशं // 5 // इत्येवं चिंतयन्नेवं / संपूर्णायुर्विपद्य सः // उत्पेदे प्रतिपातालं / चमरेंसोऽसुरेश्वरः // 16 // रत्नसिंहासनासीनो / मंत्रिदपरिवृतः // नानानागांगनावीज्य-मानचामरकंबरः // 7 // उध्धृतछत्ररोचिष्णुः / सुदीप्तांगस्तपोबलात्॥ स प्रयुक्तावधिज्ञान / उर्वलोकमलोकत // 27 // पश्यन्नूज़ देवलोके ।सुधर्मासंसदि स्थितं // सुरेंचं स्खशिरोन्यस्त-पादं ज्ञानेन दृष्टवान् // शए // रोषवांश्चिंतयामास / क एष मम मस्तके // न्यस्तपादः स्वस्थचित्तो / मुमूर्षुर्मूर्खधीः स्थितः // 30 // तदितः सांप्रतं गत्वा / दः शयित्वा खविक्रम // पूरीकरोम्यमुं तस्मात् / पातयाम्यथवासनात् // 31 // स सानाध्यक्ष माचख्यो / स्वानिप्रायं रुषातुरः // अथासुराः सत्तामुख्या। मतिमंतो बनाबिरे // 32 // देवेंद्र कालतोऽनंता, स्थितिरेषास्ति शाश्वती // सौधर्मेऽपदौ स्यातां / चमरेंशिरःस्थितौ // // 33 // चमरेंद्रः पुनः प्राह / चमरेंद्राः पुरातनाः // सर्वेऽपि निर्दला जाताः / सोढवतो यदीदृशं // 34 // परं पराक्रमधरं / क्रमेणाक्रम्य मामयं // कीदृशं बनते देवा-स्तहोकध्वं कु. .: तूहलं // 35 // छात्रिंशतकसंख्यानां / विमानानामधीश्वरैः // लौश्चतुरशीत्या च / देहर- || Jun Gun Aaradhak Trust .RP.AC.Gunratnasuti M.S.