________________ eme तत्तादृशं दृष्ट्वा / विमानसदृशं गृहं // // सर्वखमप्यदो मंत्री / दत्ते जुक्ते ममैव हि // ए.।। वं च जितचित्तोऽपि / किंचिदमुक्त्वा गृहं ययौ // ए // वैवाहिकविधिं सर्वा / स समाप्य सनां ययौ // बले पातयितुं राजा। दंमनार्थीत्यनाषत / ए३ // कः कृतज्ञः कृतघ्नः कः / को मूढः को विचक्षणः // मंत्रिनेतत्स्फुटं ब्रूहि / निग्राह्योऽस्यन्यथा पुनः // 4 // विचार्य कथयिष्यामि / खामिन्निति निवेद्य सः // प्राप सो विना स्फूर्त्या / मनसोऽर्त्या निपीमितः // 5 // नोजनावसरेऽतीते-ऽप्यनुत्तिष्टति चिंतया // ताते सरस्वती पुत्री / समागत्येत्यना. षत // ए६ // तात जातमहं मन्ये / बलं त्वयि नरेशितुः // यतश्चिन्तातुराकारं / वदनं तव वीक्ष्यते // ए७ // मंत्रियोक्तं ततः सर्व। स्वरूपं तत्पुरस्तया // उक्तं तात नृपाहुतिः। पूर्वमेव निवारिता // ए // परं नवंतु निश्चिन्ता / नवंतः प्रातरुत्तरं // वचसोऽस्य प्रदास्यामि / सम्यक्कुर्वन्तु जोजनं // एए॥ अथ निश्चिन्तचित्तोऽसौ। जोजनं विधिवट्यधात् // प्रातः सुता सहादाय / नरराजसत्तां ययौ // 100 // अन्नपिएकीप्रदानेन / लोनितं श्वानमेककं // सहादाय ययौ बाला-कारयद्रजकं तथा // 1 // राज्ञा निवेदितं मंत्रिन् / पृष्टमर्थ समर्थय।। semeeyoneypr P.P. Ac. Gunatrasuri MS. Jun Gun Aaradhak Trust