________________ चरित्र 100 / ऊचे मंत्री महाराज / दास्यत्यस्य सुतोत्तरं // 5 // एवमस्त्विति राझोंके। भूपमाह सरस्वती / / / देवाकर्णय ददोऽयं / रजको मूढधीः पुनः // 3 // ममायं जनकः सोऽयं / कृतज्ञः कुर्कुरः || पुनः // कृतघ्नश्च महाराज / इत्युक्ते स चमत्कृतः // 4 // युग्मं // ऊचे कथमिदं वत्से / प्राहैं सा शृणु भुपते // रजकोऽयमनेकेषा-मादत्ते वसनावलीः // 5 // पुनः प्रदाय सर्वेभ्यः / / स्वं स्वं दन्ते किलांशुकं // अतोऽयं रजको ददो। मूढधीमत्पिता पुनः // 6 // वस्तून्यादाय लोकेन्यो / याचित्वा निजमंदिरे // परमाम्बरं चक्रे / सुतुबप्रविणोऽपि यः // 7 // अल्पपिएमीप्रदानैनं / मन्यमानो महत्तरं // उपकारं समभ्येति / कृतज्ञस्तेन कुकुरः // 7 // राज्यकार्यविधौ सजा-चित्तेऽस्मिन्मम तात // कुविकल्पं मुधा कुर्वन् / कृतघ्नस्तु नराधिपः // 5 // सरखत्या इति वाक्यं / युक्तं श्रुत्वा नरेश्वरः // संतुष्टो मंत्रिणं पुत्र्या। समं दानादतोषयत् // 10 // तस्मै व्यापारजारं च / पूर्वस्मादधिकं ददौ // तदेवं देव काचित्स्या-त्कुलौन्नत्यकरी सुता // 11 // सा च मे नास्ति कापीति / चिंता चेतसि वर्तते // तत्प्रसीद प्रजो पुत्र्यु-त्पत्युपायं समादिश // 15 // अथ द्विमुखराजेन / जणितं देवि तर्हामुं // तनावसदनं देवं / / Jun Gun Aaradnak True P.P.AC.Gunratnasuri M.S.