________________ जखदणैः // 10 // एकं गोवत्समालोक्य / लोकलोचनहर्षतः // गोपालानाह नूपाल-धुंब- / / न्नुत्पाव्य तन्मुखं // 11 // त्रिनिर्विशेषकं // जो गोपाला न दोग्धव्या। मातास्य सुजगावचरित्रं तेः // यथारुच्येष पातव्यो-ऽन्यासामपि गवां पयः // 15 // राजादेशममुं प्राप्य / राजपुत्रमिवादरात् // गोपालाः पालयामासु-स्तं वत्सं वत्सलाशयाः // 13 // गर्जन्नन्यान् बलीबदी-श्चमान् संमांश्च मर्दयन् // ककुंजान् पिबलबायः / स्थूलकायो निरामयः // 14 // सुतीक्ष्णशृङ्गः शुत्रांगो। गोष्टांगणविनूषणं // स एव वृषलीजूतो। राज्ञान्येयुर्विलोकितः // 15 // युग्मं // जातो मनसि संतोषः / प्रोक्तं तेषां पुरः पुनः // लो गोपाः साधु साध्वेष / नवतिः प्रतिपालितः // 16 // इति स्तुत्वा नृपो दत्वा / दानं तेभ्यः प्रमोदनाक् // आनयन्गतिस्तं / वृषनं पुत्रवत्स्पृशन् // 17 // स्वकीयेनैव हस्तेन / सौवर्ण शृंखलं गलें। अंबध्नाद् घुघुरांश्चापि / सौवर्णाश्चरणादिषु // 27 // लोकान् सर्वान् समाहृय / नूपतिः प्राह जो जनाः // सर्वत्रास्खलितः सन्मे / संमोऽयं विचरिष्यति // १ए। वर्जयिष्यति योंगुख्या-प्येतं स्वेछा| विहारिणं / निर्ग्राह्यः स मया नूनं / मान्योऽपि क्रूरचौरवत् // 20 // चतुरशीतिचतुःपथम- / ' SaradhakTrust APP.AC.Gunratnasuri M.S....