________________ प्रत्येक S तया दात्रेण कालिंगव-बीर्षे मंत्रिपुरोधसोस्तनययोस्तौ बेदयामासतुः ॥ए॥ विषसंपृक्तमन्नं त-न्मन्मथः श्रीपतिस्तथा // बुजुक्षितावजुदातां / जग्मतुर्यमसद्मनि॥१॥एवंप्रकारतो हत्वा / चतुरश्चतुरानपि // सोऽर्थोऽनर्थममुं कृत्वो-ड्डीय स्थानं निजं ययौ // 2 // तस्मात्सर्वोऽप्ययं राज-नर्थोऽनर्थंककारणं // पंमितास्तं परित्यज्य / प्रव्रज्याराज्यमाश्रिताः // 3 // निपीयेति गुरोर्वाचं / वैराग्यापन्नमानसः // राजा प्रबजितुमना / गुरुमापृच्छ्य नक्तितः // 4 // आगत्य नगरी चंपां / निजे राज्ये बलादपि // अनिबंतं सुतं स्वीयं / करकंमुमतिष्टपत् // 5 // नानाविधे धवलमंगलगीतगाने / चंपाचतुःपथपथादिषु जायमाने // दीक्षामनेकविधनागरिकादिलोकैः / साकं नृपो जगवतां सविधौ प्रपेदे // 6 // प्रणम्य तातं व्रतमाश्रितं यति / सदश्रुनेत्रः करकंमुनूपतिः // आगत्य राज्यं निजकं च पैतृकं / प्रपालयामास पितुः पथानुगः // 7 // स प्रतापी यशस्वी च / प्रकृत्या गोकुलप्रियः // अन्यदा गोकुलं प्राप। गवां दर्शनहेतवे // 7 // कोमलोज्ज्वलसुस्निग्ध-रोमराजिविराजितं // सौम्याकारं सोमरूपं / स्फुरत्कातिकरंबितं // ए // कन्यकास्तनववृत्तो-गबबंगविभूषितं // घटितं म्रक्षणेनेव / मंमितं शु. ...PD.AC.Gunratnasuri M.S. Jun Gun Aaradhak Trust