________________ चरित्रं | हाय्यकं खकं // बलाढ्यापादनं कुर्यां / पुरांतर्गतयोस्तयोः // ए // एनं विनाशयिष्यामि / / / पश्चादध्वनि कुत्रचित् // एकाकिनार्जिता लक्ष्मी-मयैकेनैव जोयते // 1 // विचिंत्येति स मायावी / मन्मथं प्राह सांजसं // हे मित्र मनसो वार्ता / वदामि यदि मन्यसे // ए॥ अगोचरं न ते किंचि-त्करवाणि कदाप्यहं // तवैव मेऽस्ति विश्वासो / जीवितादपि वडन // 3 // सुवर्णपुरुषस्यास्य / विनागे विहिते सति // शृणु मित्र चतुर्थोश-स्तव लागे समेष्यति // ए // आवां व्यापादयावश्चे-नगरांतर्गतावुजौ // एकीभूय मुदावाच्यां / भोयते विनवस्ततः // ए५ // जपतमिति नूपाल-नंदनं मन्मथो जगौ // यन्मित्र रुचितं तु. ज्यं / तदेव मम संमतं // ए६ // अवांतरे समायातौ / पुरोधः सचिवात्मजौ // विषयुक्तान संपूर्णा / दधानों स्थालिकां करे // ए // नोः पश्यंत्वनयोलौट्यं / मित्ररूपेण वैरिणोः॥ स्वयं जुक्त्वा समायातौ / पश्चिमे प्रहरेऽधुना // ए // एवं कपटकोपेना-क्रोश्यंतावरुणेक्षणौ // जनितो खजमाकृष्य / नृपनंदनमन्मथौ // एए // युग्मं // नूबाये श्व दीप्यमानदिनकृद्दीपो || सुदीप्रविषा / पदो दोणिनृतामिवामरपती तीक्ष्णेन दंनोलिना // राजस्यादकृपौ कृपाणक्ष P.P.AC.Gunratnasuri M.S. Jun Gun Aaradhak Trust