________________ तय जो जनशंकरोऽप्यहो / इहांगिनिः स्थाणुरिति प्रकथ्यते // 70 // अविद्यमानानपि मूलतो गु- || णान् / वदंति लोका धनिनः प्रियंवदाः // श्रितः श्रिया सत्पुरुषेषु गण्यते / त्यक्तस्तया कापुचरित्रं पावन रुषोऽवगण्यते // 1 // अमूलमंत्रं गतयंत्रतंत्रं / लक्ष्मीरियं कार्मणमद्वितीयं // यस्याः प्रभावेण जनाः समस्ता / अवश्यमेवाशु वशीजवंति // 5 // आजन्मतो बांधवतुल्ययोरपि / पंचत्वमापादयितुं तयोर्डयोः // किंचित्प्रपंच रचयाशु घातकं / लक्ष्मीकृते किं क्रियते न पातकं // 3 // अंगदेनैवमुदिते / मुदितोऽभून्महामतिः // पापाः पापोपदेशेन / पूष्यंति दितिमंगले // 7 // नसावत्केवलं नाम्ना / स महामतिरस्पधीः // जोज्येन सह कूटात्मा। कालकूटं गृहीतवान् // 5 // एकस्य सदने गत्वा / कारयित्वा च जोजनं // जुक्तवंतावुलौ त त्र। पुरोधःसचिवात्मजौ // 6 // पाचयित्वान्यमाहारं / विषं प्रक्षिप्य तत्र च // आदाय च तमाहारं / निर्गतौ नगरात्ततः // 7 // अत्रांतरे बहिःस्थेन / चिंतितं नृपसूनुना // सुवर्णपुरुषो धैर्या-न्मयैवायमुपार्जितः // // अधुना धनिका जाता। हंहो सर्वेऽपि पार्श्वगाः॥ दाक्षिण्यांबुधिमझो हि / किं जल्पामि करोमि किं // ए // आः ज्ञातमधुनैवैनं / कृत्वा सा- / / Jun Gun Aaradhak Trust P.P.AC. Gunratnasur M.S.