________________ प्रत्येक चरित्र नाम्ना प्रसिद्धास्ते / महासाहसिनः क्रमात् // पितुर्देशं परित्यज्य / परदेशं समासदन् // 3 // अन्यदा तेषु गबत्सु / चतुलपि महाटवीं // अस्तं जगामोष्णधाम / दीपवन्मार्गदीपकः॥ // 30 // मार्गामार्गमजानंतो। निर्झना श्व मानवाः // विटस्येव वटस्याधो। निवासं चकिरे निशि // 3 // घुर्घरंति महाव्याघ्राः / फुच्चक्रुश्च फणीश्वराः // चक्रुरट्टहास्यानि / भूतप्रेतादयस्तदा // 40 // चतुर्जिमंत्रितं तत्र / काननेऽत्र विजीषणे // ये सुप्तास्ते विगुप्ता हि / श्रेयो जागरणं ततः // 1 // उक्तं च-उद्यमे नास्ति दारिद्र्यं / जपतो नास्ति पातकं // मौनेन कलहो नास्ति / नास्ति जागरतो जयं // 42 // चत्वारः स्मों वयं रात्रे-श्चत्वारः प्रहरा अपि // एकैकं प्रहरं याव-जाग्रत्वेकैक एव तत् // 43 ॥श्त्यालोच्यापरे सुप्ताः। पुरोधःसुत एककः // प्रथमे प्रहरे जाग्रं-नस्थात्खजसहायकः // 44 // अपरेषां समस्तानां / घो. रा निखा यदागता // तदोच्चैरिति शब्दोऽभू-टोपरि परिस्फुटं // 45 // अनर्थवेष्टितोस्त्यर्थः / पन्नगैरिव चंदनं // यदि त्वं कथयस्याशु / पतामि त्वत्पुरस्तदा // 46 ॥श्त्याकण्या. गदोऽध्याय-कस्येदं शब्दितं किल // हुँ देवतानुजावोऽयं / तेनेदं बुध्यते मया // 4 // क- || 4 P.P. Ac. Gunratnasuri M.S. Jun Gun Aaradhak Trust