________________ जो समकालममी जाता / वर्धतां मम मंदिरे // 26 // एवमस्तु महाराज / सर्वैरित्युदिते सति // पुत्रस्येव नृपोऽन्येषां / जन्मोत्सवमचीकरत् // 27 // राजांगणं समानीय / चतुर्णा सहशाचरित्र दरांत् // राज्ञा पृथक्पृथग्धात्र्यः / प्रपालनकृते कृताः // 27 // महाराजकरस्पर्शा-विशवः परमोदकाः // शनैः शनैद्धिमापुः / सागरा जागरा श्व ॥श्ए // पाठिताः पाठशालायां / कलान्यासं च कारिताः // शस्त्रंशिस्त्रकचतुराः। क्रमाद्यौवनमाययुः // 30 // तेजखिनो मेंहावीर्याः। श्रीतिमंतः परस्परं // एवमालोचयामासुः / संभूयैव सहोदराः // 31 // निःसत्वा श्व किं कालं / गमयामः पितुर्रहे // नमामो वसुधामध्ये-र्जयामः खजुजैः श्रियः // 3 // तातेनोपार्जितं वित्तं / जुज्यते सत्ववर्जितैः // सत्ववंतो जुवं ब्रांत्वा / स्वयमर्जितनोजकाः // // 33 // आलोक्यते जनविचित्रचरित्रचित्रं / विज्ञायते सुजनऽर्जनयोर्विशेषः // संलच्यते निजबलाबलयोर्विवेकः / बज्रम्यते सकल एव महीतले तत् // 34 // एवमालोच्य चत्वारो नापृच्छयैव महीपति // खसककृतसाहाय्याः। प्रदोषे निर्ययुः पुरात् // 35 // श्रीपतिपतेः // सूनु-मैत्रिणश्च महामतिः // मन्मथः सेलहस्तस्यां-गदाख्यश्च पुरोधसः // 36 // इति || . P.P.AC.Gunratnasuri M.S. Jun Gun Aaradhak Trust